Zika Virus in Hindi विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में जीका वायरस की दस्तक हो चुकी है। जिका वायरस या ज़ीका बुखार के आजकल बहुत सारे मामले सामने आने लगे हैं। भारत में इसका पहला केस जयपुर में मिला था उसके बाद और भी राज्यों में इसके केस आने लगे। यह वायरस एडीज एजिप्टी नामक मच्छर से फैलता है। यह उसी किस्म का मच्छर है जो डेंगू बुखार, पीले बुखार, और चिकनगुनिया वायरस को फैलाता है। यह मच्छर जब एक संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो उसमे यह वायरस चला जाता है और फिर उसे अपना सीकार बनाता है। इस लेख में आप जानेंगें जीका वायरस क्या है, जीका वायरस कैसे फैलता है, जीका रोग के लक्षण, जीका वायरस ट्रीटमेंट और जीका वायरस से बचने के उपाय के बारे में।
उस वायरस को अन्य लोगों को काटने पर फैला देता है। यह बहुत ही खतरनाक वायरस है क्योंकि इसके शरीर में होने से कई समस्याएँ जैसे की विकलांगता, गर्भवती महिला में गर्भपात, दिमाग के विकार, पैरालिसिस और यहाँ तक की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए जिका वायरस के बारे में जानना जरुरी है। आइये हम आपको जिका वायरस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं –
जिका वायरस एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से फैलता है। यह जानवरों और मनुष्यों में फ़ैल सकता है। जीका प्रभावित व्यक्ति से असुरक्षित यौन संबंध के बाद खून में वायरस के मिलने से जिका वायरस फ़ैल सकता है। लेकिन रक्त या यौन संपर्क के माध्यम से संक्रमण फैलने की कोई पुष्टि अभी नहीं हुयी है।
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जिका वायरस फैलने पर हो सकता है की कोई लक्ष्ण न भी दिखें। लेकिन आमतौर पर यदि जिका वायरस आपके शरीर में फ़ैल चूका है तो आपको
लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते होंगे कि उन्हें जिका वायरस का संक्रमण है।
जिका वायरस में के लक्षण पांच में से किसी एक में दिखाई देते हैं। जिका संक्रमित मच्छर के काटने के बाद 3 से 14 दिनों तक लक्षण कभी भी दिखाई दे सकते हैं। वे कई दिनों से लेकर लगभग एक सप्ताह तक चल सकते हैं।
यदि आप को जिका के लक्षण होने का संदेह है और आप उस क्षेत्र में जाते हैं जहां जिका फैल रहा है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें- खासकर यदि आप गर्भवती हैं। गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भवती महिलाओं को जिका के लक्षणों का परीक्षण किया जाना चाहिए।
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जनवरी और फरवरी 2017 में अहमदाबाद में पहला जिका वायरस प्रकोप हुआ और तमिलनाडु के कृष्णगिरी जिले से जुलाई 2017 में दूसरा प्रकोप हुआ। जयपुर में तीसरा जिका वायरस प्रकोप हुआ है। मध्य प्रदेश में भी इसके कुछ केस आ चुके हैं। इसके आलावा दिल्ली में भी इसके मामले सामने आयें हैं।
आपका डॉक्टर जिका वायरस की पहचान करने के लिए आपके चिकित्सा और यात्रा इतिहास के बारे में पूछेगा। अंतरराष्ट्रीय यात्राओं का विस्तार से वर्णन करना सुनिश्चित करें, जिसमें आप और आपके पार्टनर गए और इसके साथ ही यात्रा के डेट्स, और मच्छरों के साथ आपके संपर्क में आना भी उन्हें बताएं।
डॉक्टर जिका या डेंगू या चिकनगुनिया जैसे अन्य वायरस की जांचके लिए रक्त या मूत्र परीक्षण करा सकता है।
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जिका वायरस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षण वाले ज्यादातर लोग दर्द और तकलीफ के लिए ओवर दा काउंटर दवाओं के साथ आराम महसूस कर सकते हैं। यह रोग आम तौर पर एक हफ्ते के भीतर अपना संक्रमण फैलाता है।
संक्रमित लोगों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए, निर्जलीकरण या डीहाईडरेशन को रोकने के लिए तरल पदार्थ पीना चाहिए, और बुखार और दर्द के लिए एसिटामिनोफेन (acetaminophen) लेना चाहिए। रक्तस्राव के जोखिम को कम करने के लिए एस्पिरिन या अन्य गैर-क्षुद्र विरोधी एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स (nonsteroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDs) तब तक नहीं लिया जाना चाहिए जब तक डेंगू की पड़ताल न हो जाए।
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जिका संक्रमित गर्भवती महिलाओं के पैदा हुए बच्चों में माइक्रोसेफली (बच्चे के सिर का आकार सामान्य से कम होना) की समस्या बनती है। माइक्रोसेफली (microcephaly) बच्चे के सिर की वृद्धि को रोक देती है, जिससे दिमाग को बहुत नुक्सान पहुँच सकता है, और इसके परिणामस्वरूप गर्भपात या स्टिलबर्थ हो सकता है।
यदि आप गर्भवती महिला हैं तो डॉक्टर टेस्ट रिजल्ट के बाद निम्नलिखित जांच करेगा-
माइक्रोसेफली (microcephaly) या मस्तिष्क की अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड।
ज़िका वायरस की जांच करने के लिए एमनीओसेनेसिस (amniocentesis) – गर्भाशय के अन्दर खोखले सुई डालके अम्नीओटिक तरल पदार्थ (amniotic fluid) का नमूना लिया जाता है।
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जिका से बचने के लिए कोई टीका वर्तमान समय में उपलब्ध नहीं है, लेकिन आप कुछ सावधानियों को अपनाकर अपना बचाव कर सकते हैं।
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